जूड़-शीतलक (জূড শীতলক) खिस्सा
Updated: Aug 9, 2021
जूड़-शीतलक खिस्सा सुनय जाउ| भोरे-भोर माँ आ दादी लोकनि जखन माथ पर ठंडा-ठंडा जल दएत रह्थिन्ह, त' हम छेहा क उठी जायत छलहु आ पता लागि जायत छल जे आई 'सिरुआ' औ "जूड़-शीतल" छैक|

हमरा अहि ठाम एही पबनि के 'टटका-बास्का' पबनि सेहो कहल जायत अछि। असल में बात ऐहन जे टटका में गरम गरम दालपूरी आ' बास्का में 'बोरी-भात' बनाओल जायत अछि।
अहि पबनि में केवल धिया पुता टा नहि, गाछ-वृछ के सेहो जुराइल जायत अछि। हमरा सब के एखनो धरी याद अछि जे केना सब गोटे मिल क' आमक गाछि जायत छलहूँ गाछ के जुराबैक लेल।
सुखद आश्चर्य होइत अछि जे अप्पन समाज पर्यावरण के प्रति कतेक जागरूक छल। कतेक गाम दिस एही दिन शिकार खेलबक लेल सेहो कतेक आदमी सब जायत छल्खिन, प्रायः खरिया के शिकार के लेल....खरिया कहू ते खरगोश भेल, मुदा इ प्रथा लगभग समाप्त भ' गेल अछि.....कियेक त' नय आब ओ जंगल अछि आ नेय ओ जोश छैन लोग सब में| किछु गाम सब में त अहि दिन 'धुरखेल' सेहो बड्ड हर्षोल्लाष के संग खेलायल जायत अछि |
एही दिन मैथिली (तिरहुतिया) नव वर्षक शुरुआत सेहो होय छैक| अपने सबके मिथिला नव साल’क, जूड़ शीतलक’क आ सत्तुएँन पाबैनि’क नव वर्षक हार्दिक बधाई.... आउ सब मिथिलवासी और मैथिल सब मिल क अहि पावनि क हर्सौल्लाष और सद्भावना के संग मनाबि |