Being Maithil

Jun 10, 2021

"बरसाइत पूजा विधि आ कथा" ( बट सावित्री कथा)

Updated: Aug 9, 2021

जेठ मासक अमावस्या तिथि के मनाओल जाइवला पर्व बरिसाइत कें अपन मिथिला में बहुत प्रधानता देल गेल अछि। ई पावनि पति कें दीर्घायुक कामना संतान प्राप्ति आ समस्त परिवारक कल्याणार्थ राखल जाइत छैक ! बरसाइत के नाम सँ प्रसिद्ध और सावित्री केर पतिव्रत आ धर्म-परायणता सँ प्रेरित इ पाबनि नवविवाहिता मैथिल स्त्री के लेल बहुत महत्वपूर्ण पाबनि मानल जाइत अछि। पति के दीर्घायु के लेल स्त्रीगण पूर्ण निष्ठा पूर्वक संपूर्ण विधि - विधान सँ बरक गाछ तर बैसि नाग-नागिनक पूजन करैत छथि। प्रसाद स्वरूप केराक पात पर फल- फूल, आम , पाँच प्रकारक फल , पचमेर मधूर, पंचमेवा, धानक लाबा, दूध, ओंकरी (फूलल बदाम अर्थात चना किंवा मूंग के अंकुरी) आदि रहैत अछि।

ताहि समय में भार सांठबाक बड प्रचलन रहैक पावनिक विध केर जावंतो सामान, रंग-बिरंगक फल जेना - घौंरक - घौंर केरा, कटहर, लीची आदि मौसमी फल, रंग-बिरंगक मधुर जेना - खाजा, लड्डू, पेरा, बालुशाही, रामभोग आदि, कस्तारा - कस्तारा दही, चंगेरा - चंगेरा चूड़ा, पूरी-पकवान आदि रहैत छैक।

समस्त परिवार लेल वस्त्र, लहठी आदि, पवनैतिन लेल वस्त्र, आभूषण, लहठी, श्रृंगारक सभटा सामान संगे छाता, चप्पल, आसन आदि, गौरी बना क, बिषहरा बना क आओर विधि केर सभटा वस्तु नव विवाहिता कें सासुर सँ पठाओल जाईत छलैक।
 

परंच आब समय बदलि रहल छैक भार-दोरक महत्व नहिं रहलैक तें आब विधि क सभ समानक संग पवनैतिन लेल वस्त्र, आभूषण, छाता, चप्पल आदि जरूर पठाबी।

बरसाइत पूजा (बट सावित्री) | #MithilaArt Mukti Jha

" पूजन सामाग्री "
 

  1. बियैन-7 टा

  2. डाली -7 टा

  3. बोहनी-1

  4. अहिवातक पातिल

  5. उड़ीदक बड़ 14

  6. सुतरी

  7. सरवा -२

  8. माटिक बिसहरा (नाग-नागीन) - पांच गोट

  9. केरा क पात

  10. लावा

  11. एकटा सरवा में दही

  12. अंकुरी खेरही किंवा बदाम केर

  13. लाल कपड़ा

  14. कनिया -पुतरा

  15. साजी

  16. अरवा चाउर

  17. एक जोड़ जनेउ आ गोटा सुपारी

  18. फल ,फूल ,पंचमधुर, पंचमेवा

  19. कांच हरदि ,दूबि ,कुसुमक फूल, धनियां, गंगाजल

  20. बिन्नी के पोटरी
     

" पूजन विधि "
 

दू चारि दिन पहिनहिं पाँच गोट नाग-नागिन, हाथी आदि बना ओकरा रंगि-ढ्योरि क तैयार कए राखी।

ई काज नइहर सासुर दुनू ठाम होयत ।हाथी जँ विवाह वला हो त नव बनेबाक कोनो बेगरता नहिं छैक ।

नाग - नागिन सात गोट सेहो बनाओल जा सकैछ जाहि में पाँच गोट नागिन आ दू गोट नाग रहत ।

डाली-पाती सेहो पहिनहिं अना क राखि ली।

एक दिन पहिने पवनैतिन नहा धो क पवित्र भ अमनियाँ भोजन करतीह। पावनि दिन पोखरि में नेहेबा काल ध्यान देबाक छैन्ह जे नाभि पानि में नहिं डुबौतीह। तें लोटा लए नहायब उचित छैक ।आई-काल्हि पोखरिक उठाव भेने एहन बातक कोनो औचित्य नहिं रहैक परंच जँ बाथटब क उपयोग करथि त ध्यान देथि। संध्या काल पाँच - सात अइहब मिलि ब्राह्मण गोसाउनिक गीत गाबि गौड़ी बनबैथि ।गौड़ी बनेबाक लेल सामग्री रहत - दूबि ,कांच हरदि ,धनिया, कुसुमक फूल, गंगाजल " एकटा अहिबाती तेल - सेनूर कए, नव वस्त्र पहिरि खौंइछ लए सभटा सामग्री के सिलौट पर पीसि क गौड़ी बनौतीह ,जकरा रंगल - ढौरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान क पात स झापि ,पान क पातक ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपड़ा सँ झाँपि भगवती लग राखि देथिन्ह

एम्हर सभ अहिबाती के तेल सेनूर कए हाथ में सुपारी देथिन्ह।

उड़दि दालि के फुला के किंवा उड़िदक घाठि फेनि क १४ टा बड़ पकाओल जायत ,जकरा सेरेलाक बाद सुतरी में माला गांथल जायत (बिना सुइया के) बड़क माला बना के बोहनी के मुँह पर बांधल जायत I

केरा के पात पर सिन्दूर आ काजर सँ बिष-विषहारा लिखल जाएत I

रातिये खन अंकुरी आ पिठार फूलय लेल दए देथिन्ह I

पूजन विधि : अहिबाती सखी सभ ब्राह्मण गोसाउनिक गीत गबैत रहतीह ताबत नव कनियाँ (पवनैतिन) नहा धो क सासुर स आयल नव वस्त्र धारण कए लहठी पहिरि श्रृंगार कए भगवती क प्रणाम कए ,हाथ में साजी (जाही में कनिया पुतरा रहत ),आ माथ पर बोहनी (जाही में लाबा भरल रहत आ जकरा मुँह पर बड़क गुथलाहा माला पहाराओल रहत रहत )लय के भगवती कें गोर लागी सब संगी बहिनपाक संगे बटगबनी गबैत बड़क गाछ तर जेतीह। ओहि ठाम पहिनहिं कियो अहिबाती किंवा कुमारि कन्या ठांव कए अरिपन देने रहथिन्ह।

पवनैतिन गंगाजल सँ सिक्त कए सभ सखी संग शुभे-शुभे करैत आसन लगा बैसि जेतीह।

गाछ तर बैसलाक बाद बोहनी में राखल लाबा केराक पात किंवा कोनो डाली में उझिलि देथिन्ह आ ओही बोहनी में जल भरि देथिन्ह।

गाछक तअर में जे अरिपन देल छैक ताहि पर बीच में केराक पात ओछा देथिन्ह। बामा भागक अरिपन के ऊपर 7 टा बिअनि रहत ,आ सात टा डाली में फुलायल अंकुरी ,फल ,मिठाई आदि राखल रहत। आगू में अहिवात जरा क ओकर झपना सँ ओकरा कनेक तिरछिया के झांपि देथिन्ह ।धूप-दीप, धूमन गुग्गुल आदि जरा लेतीह। एक टा डाली में चाउर ,सुपारी, जनऊ,पैसा फल -मिठाई राखल रहत जे पूजा के बाद पंडिताईन कें देल जाइत छैक । आम क पात पर 60(साइठ )ठाम अंकुरी आ फल -मिठाई के नवेद्य लगौतीह। एकटा बियनि पर आ एक टा आम पर पांच ठाम सिन्दूर लगा बड़क गाछक जड़ि में ‍‌‍‍राखि देथिन्ह। बीच वला भागक अरिपन पर विष-विषहारा लिखल पात राखि ओही पर माटिक नाग - नागिन नइहर सासुर दुनू ठामक राखि देथिन्ह। पवनैतिन एक टा बड़क पात केश में खोसि लेतीह जकरा कथा के बीच-बीच में खोंटैत फकरा पढ़तीह (बर लिय, मर दिय)

सबटा ओरियाओन भेलाक बाद पवनैतिन सभ सँ पहिने बामा भाग में (नइहर, सासूर दुनू ठामक ) गौरी क पूजा-अर्चना करतीह। गौरीक लेल आगु में नवेद्य, पंचमेर मधुर, पंचमेवा, केरा आदि अनेक तरहक फल, पान सुपारी, फूल, बेलपत्र, दूबि आ सिन्दूर लय श्रद्धापूर्वक गौरीक गीतक संग पूजा करतीह। तदुपरांत बीचला भाग में बिन्नी पढ़ैत नाग-नागिनक पूजा-अर्चना करैत बिषहरा कें दूध-लाबा, श्री खण्ड चानन, फूल बेलपत्र आदि अर्पित करैत बिषहरा क गीत गबैत मिनती आदि गाबि बिषहरा क पूजा-अर्चना संपन्न करतीह ।

बिषहरा क पूजाक बाद दहिना भाग में सावित्री क पूजा-अर्चना कए सदा सुहागिन रहबाक आशीष लेतीह। सभ सँ बाद में अलग सँ जे छोटका अरिपन अछि ओहि पर सोमाधोबिन केर पूजा कए आशीष लेतीह। सभ टा पूजा-अर्चना संपन्न भेलाक बाद हाथ में बीनी क पोटरी लय जांघ तर बोहनी राखि कथा सुनतीह। कथा सुनलाक बाद पवनैतिन आंचरक खूंट पर गाछ तरक रखलाहा आम आ एक टा सिन्दूर क गद्दी लए टोकरीक सूत किंवा मौली धागा लए गाछ के चारू कात पांच बेर प्रदक्षिणा करतीह। ओकरा बाद गाछ तर जे छाड़ल लिखल बियनि अछि ताहि सँ गाछ के तीन बेर होंकैत गला मिलतीह। आब कनियाँ - पुतरा कें पवनैतिन क हाथे विधि पूर्वक विवाह संपन्न कराओल जाएत । सिंदूरदान पुतराक हाथे पवनैतिन करौतीह। ओकरा बाद सभ देव-देवी, बिषहरा कें स्मरण करैत नैवेद्य उत्सर्जित करतीह। पुनः विषहरा के दूध लाबा चढौतीह। बोहनी में बांधल सबटा बड़ के वामा हाथक अंगूठा आ अनामिका क सहारा सँ तोरी कें एक बेर आगु आ एक बेर पाछु फेकैत फकरा पढ़तीह - वर लिय कहैत पाछू दिस आ मर दिय कहैत आगू में फेकतीह।

ई सभटा विधि संपन्न भेलाक बाद पवनैतिन खौंइछ में आम, फल, मधुर आदि लए संग में पूजा केनिहारि दोसर पवनैतिन संग खौंइछ क सभ सामग्री बदलि भैया लगौतीह। संजोगवश जँ दोसर पवनैतिन नहिं रहतैक त बड़क गाछ संग सेहो भैया लगाओल जा सकैछ। ओकरा बाद माथ पर फेर बोहनी उठेती ,हाथ में साजी लेती आ सखी सभक संग बटगबनी गबैत आंगन में भगवती घर आबि मिनती गबैत, भगवती कें प्रणाम करतीह ।

गाछ तर राखल डाली सेहो उठा के भगवती घर में राखी। भगवती कें प्रणाम केलाक बाद 7 टा अहिवाती के डाली आओर अंकुरी दए प्रणाम कए आशीष लेतीह संगहि सब पैघ जन के सेहो प्रणाम कए आशीष लेतीह।

एम्हर माए पितियानि भरिगाम में सभ कें हकार दए बजा सभ कें तेल - सेनूर आ अंकुरी देथिन्ह।

" कथा (सोमा धोबिन आ नाग-नागिनक कथा) "

एक टा गाम में एकटा ब्राह्मण अपना कनियाँ और सात टा पुत्र संगे खुशी खुशी रहैत छलाह। हुनका आंगनक भनसा घरक चिनवार लग एक टा नाग-नागिन अपन बिल बना क रहैत छल। ब्राह्मणक कनिया घर में बीहरि देखि प्रतिदिन भात पसेला क बाद ओ गरम माँर ओहि बीहरि में ढारि दैत छलईथ जाहि सं साँप क सबटा पोआ(बच्चा ) सब मरि जाईत छल I निरंतर अपन पोआ सब के मरला सं क्रोधित भय नाग –नागिन एक दिन ब्राह्मण के श्राप देलखिन जे “जेना अहाँ हमार बच्चा सब के मारलउ तहिना अहाँ के वंश के सबटा बच्चा सब साँप के कटला से मरि जायत “I समयांतराल में ब्राह्मण के बड़का बेटा के हर्षो- उल्लास सं विवाह भेलनि Iविवाहोपरांत ब्राह्मण बेटा कनियाँ के द्विरागमन करा अपना घर दिश बिदा भेला I रास्ता में किछु देर क वास्ते सुस्तेवा लेल एक टा वट वृक्ष क नीचा में दुनू बर कनियाँ बैसलाह Iओहि गाछ के जड़ि में एकटा धोधैर छल जाहि में नाग-नागिन रहैत छल I नाग-नागिन धोधैर सं निकलि दुनू बर कनियाँ के डैस लेलखिन जाहि सं दुनू के मृत्यु भय गेल I ब्राह्मण क घर में दुःख के पहाङ टूटि परल I अहिना क कय ब्राहमण के छ्हो पुत्र के एक एक करि कय कसर्प-दोष सं मृत्यु भय गेलनि I ब्राह्मण –ब्राह्मणी चिंतित रहए लगला आ अपन छोटका बेटा के हमेशा अपना आँखि के सामने रखैत छलैथ I बेटा के हमेशा झापि-तोपि के रखैत छलैथ कि कतहुँ साँप –बिच्छु ने काटि लई I ब्राह्मण क बेटा जखन पैघ भेला त धनोपार्जन हेतु घर से बाहर जेबा लेल जिद करय लगला I पहिने त हुनकर माता-पिता हुनका बाहर भेजवा लेल तैयार नई होईत छला ,फेर एही शर्त पर राजी भेला कि हमेशा अपना संगे एकटा छाता और जूता रखता I शर्त मानी ब्राह्मण बेटा घर सं बिदा भेला I जाईत-जाईत एकटा गाम लग पहुचला, गाम के बाहर एकटा धार छल ,ब्राह्मण बेटा जूता पहिर लेलथि आ धार के पार करअ लगला I तखने गाम के किछु लङकी सभहक झुण्ड सेहो धार पार करैत छल Iसब सखि सब ब्राह्मण के बेटा के जुत्ता पहिर पानि में जाईत देखि ठठहा के हंसअ लगली आ कह लगली कि – “हे देखू सखि सब केहन बुरबक छै ई ब्राह्मण बेटा पानि में जूता पहिरने अईछ “I ओहि झुण्ड में एकटा सामा धोबिन के बेटी सेहो छल से सखि सबके अपन तर्क देलखिन जे –हे सखि नई बुझलौं ,ब्राह्मण बेटा पानी में जूता एही दुआरे पहिरने ऐछ जाहि सं पनि में रहै बला साँप –कीङा ओकरा पैर मे नइ काटि लइ” I ब्राह्मण बेटा ओहि लङकी के तर्क सुनि चकित भेला I धार पार कय सब गोटा आगु बढ़ल ,धुप बेसी छल मुदा ब्राह्मण बेटा छाता अपना कांख तर दबने रहल, सब सखि सब मुँह झाँपी मुस्कुरैत रहलि आ सोचैत छलि ,जे एतेक धुप छै आ ई मानुष छत्ता कांख तर दबेने ऐछ Iबर रौउद छल आ गाम क उबर-खाबङ मैइटक रस्ता ,सब गोटा चलैत-चलैत थाईक गेल I रस्ता कात में एकटा बरका विशाल बङ क गाछ छल जकरा देख सब गोटा ओहि छाया में विश्राम करवा हेतु गाछ तर बैस रहल I ब्राह्मण बेटा जखने गाछ तर बैसला अपन कांख तर दबैल छत्ता खोइल ताइन लेलइथ I सब सखि सब फेर जोर सं हंस लागलि आ कह लागलि जे – “देखिअऊ इ मानुष के धुप छल त छत्ता कांख तर देवेने छल आ जखन गाछ तक छाया में बैसल ऐछ त छत्ता तनने ऐछ “I सोमा धोबिन क बेटी जे ब्राह्मण बेटा के बार ध्यान सं देख रहल छालैथ,फेर अपन तर्क देलखिन जे –“ हे सखि सब अहाँ सब फेर नई बुझलौं ,इ ब्राह्मण बेटा गाछ पर रहै बला साँप-कीङा सं अपना क बचबै लेल गाछ तर छत्ता तनने ऐछ “I ब्राह्मण क बेटा जे बरि काल सं सोमा बेटी के तर्क सुनैत छला ,ओकर बात सं ततेक प्रभावित भेला कि सोचलैथ कि अगर विवाह करब त एही चतुर कन्या सं करब Iब्राह्मण बेटा गाम क धोबिन लग गेला आ धोबिन सोमा सं कहलखिन जे हम आहाँ क चतुर बेटी सं विवाह कर चाहैत छी I सोमा धोबिन तैयार भय गेलि आ खुशी –खुशी दुनू के विवाह कय देलखिन I जखन विदागरी क समय आयल त सामा धोबिन कहलखिन जे –“हे बेटी हम त गरीब छी ,हमरा लग धन –दौलत किछु नहि अछि, अहाँ के हम विदागरी में कि दिय ?” सोमा क बेटी ताहि पर उत्तर में कहलखिन जे –“हे माय अहाँ हमरा किछु नय मात्र कनी धान क लाबा ,कनी दूध ,बोहनी आ एक ता बियन दिय आ आशीर्वाद दिय जे हम अपना पति आ हुनकर वंश वृद्धि में सहायक होइयन I” सोमा धोभिन सब चीज जे हुनकर बेटी कहलकैन ओरिआन कय क देलखिन आ आशीर्वाद दय दुनू बर कनियाँ के बिदा केलखिन Iब्राह्मण बेटा अपना कनियाँ क लय अपना गाम दिश चल लगला I चलैत-चलैत जखन दुनू गोटा थाईक गेला त विश्राम करवा लेल एक टा बङ गाछ के नीचा में रुकि गेला I सोमा धोबिन क बेटी अपन माय क देल सबटा समान गाछ के निचा में राखि अपना वर संगे आराम करय लगलि I ओही बङ के जइङ में एकटा नाग अपना नागिन बिल में संगे रहैत छल Iगाछ के जैङ लग दूध, लाबा आ बोहनी में राखल पानि देखि नाग कय भूख और प्यास जागृत भय गेल आ नाग अपना बिल सं निकलि बाहर जेवाक लेल व्यग्र भ गेला I नागिन बार बार मना कर लागलैथ किन्तु नाग नइ मानलैथ आ बाहर आबि जहिना बोहनी में राखल पानी के पिबा लेल ओहि में मुहँ देलखिन, धोबिन बेटी नाग समेत बोहनी के हाथ सं पकङि अपना जाँघ तर में दाबि क राखि लेलैथ I नाग कतबो प्रयास केलैथ निकलि न हि पेलैथI जखन बरि काल बितला क बादो नाग घुरि क नहीं अयलाह त नागिन बाहर निकललि आ देखलथिन्ह जे नाग के त एकटा नव कनियाँ पकङने अछि I नागिन सोमा बेटी सँ कहथिन्ह जे हमर "वर" दिअ ! सोमा बेटी नइ मानलथिन्ह कहथिन्ह जे पहिने अहाँ हमर "मर" दिअ!

नागिन के निरंतर अनुनय –विनय क बाद धोबिन बेटी एकटा शर्त राखलखिन जे –“हे नागिन हम अहाँ के पति नाग राज के तखने छोङबनि जखन अहाँ हमरा पति आ हुनकर वंश के सर्प-दोष सं मुक्त करब संगहि हुनकर छबो भाई के जे मरि गेल छैथ के पुनः जीवित करब “ I नागिन विवश छलि धोबिन बेटी के शर्त मानवा लेल I नागिन स्वर्ग सं अमृत अनलेइथ आ ब्राह्मण के सबटा पुत्र ,पुत्रवधु के जीवित कय सर्प –दोष सं मुक्त कय सब के आशीर्वाद देलखिन I तखन जा क धोबिन बेटी नाग के छोङलखिन और अपन करनी लेल क्षमा माँगी नाग –नागिन के प्रणाम केलैथ I तखन नाग नागिन ब्राह्मण के सबटा पुत्र आ पुत्रबधु सबके आशीर्वाद दैत कहलखिन –“जेष्ठ मॉस के अमावश्या दिन विवाहित कनियाँ सब ज्यों बङ के गाछ के पूजा करति आ बिष-विषहारा के दूध लाबा चढ़ा हुनकर पूजा करती तँ हुनकर सब के सुहाग अखण्ड रहतेंन “I

नाग –नागिन सं आशीर्वाद लय ब्राह्मण क सातों पुत्र आ सातों कनिया जखन अपना घर पहूँचला त ब्राह्मण –ब्राह्मणिक खुशीक कोनो पारावार नहिं छल। सोमा धोबिनक बेटी अपन चतुरता सँ छबो दियादिनी क सोहाग बचौलक आ ब्राम्हणक उजरल घर बसौलक। बाद सब गोटा प्रसन्ता पूर्वक रहए लगलाहI

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